Mirza Ghalib Shayari – दोस्तों आज आप Mirza Ghalib Ki Shayari मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी के लिए यहाँ आये हैं और मैं आपको ऐसे कैसे जाने दे सकता हु, इसिलय मैंने निचे आपके लिए दुनिया भर से बेहतरीन शायरी डाली हैं जिसे देख कर आपको अच्छा लगेगा। निचे आपको Ghalib Shayari In Hindi With Images ग़ालिब शायरी इन हिंदी विथ इमेजेज के साथ और Ghalib Shayari In Hindi ग़ालिब शायरी इन हिंदी, Ghalib Ki Shayari For Status ग़ालिब की शायरी फॉर स्टेटस, Mirza Ghalib Love Shayari मिर्ज़ा ग़ालिब लव शायरी जैसी बेस्ट शायरी देखने को मिलेगी। Mirza Ghalib Ki Shayari मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी को सब पसंद करते हैं और सब उनकी शायरी को Whatsapp Status और Facebook Storry पर लगा कर रखते हैं निचे 2 lines Ghalib Shayari Pictures २ लाइन्स ग़ालिब शायरी पिक्टुरेस और Mirza Ghalib Shayari Images in Urdu मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी इमेजेज इन उर्दू और Ghalib Shayari In English Language Font Text के साथ देखने को मिलेगी। Gam Shayari
Mirza Ghalib Shayari – जल्दी से अपने पसंद की Best Ghalib Shayari In Hindi बेस्ट ग़ालिब शायरी इन हिंदी, Ghalib Shayari On Life ग़ालिब शायरी ों लाइफ, Zindagi Ghalib Shayari ज़िन्दगी ग़ालिब शायरी, Shayari on Ghalib With Image शायरी ो ग़ालिब विथ इमेज, Romantic Ghalib SHayari Image In Hindi रोमांटिक ग़ालिब शायरी इमेज हिंदी में, Sad Ghalib Shayari In Hindi For Whatsapp Status or Facebook Dp, Instagram. Mirza Ghalib Love Shayari Hindi, Mirza Ghalib Shayari on Love.
Ghalib Shayari ( ग़ालिब शायरी )

उन के देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक़।वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है।
- इश्क़ ने ग़ालिब निकम्मा कर दिया।वर्ना हम भी आदमी थे काम के।।
तेरे वादे पर जिये हमतो यह जान,झूठ जानाकि ख़ुशी से मर न जातेअगर एतबार होता ..
‘ग़ालिब’ बुरा न मान जो वाइ’ज़ बुरा कहेऐसा भी कोई है कि सब अच्छा कहें जिसे”
हैं और भी दुनिया में सुखनवर बहुत अच्छे,कहते हैं कि ग़ालिब का है अंदाज़-ए-बयाँ और।
दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है।,आख़िर इस दर्द की दवा क्या है।
- उन के देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक़।वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है
तुम अपने शिकवे की बातेंन खोद खोद के पूछोहज़र करो मिरे दिल सेकि उस में आग दबी है..
चाहें ख़ाक में मिला भी दे किसी याद सा भुला भी दे,महकेंगे हसरतों के नक़्श* हो हो कर पाएमाल^ भी !
इश्क़ पर जोर नहीं है ये वो आतिश ग़ालिब,कि लगाए न लगे और बुझाए न बने।
Mirza Ghalib Shayari

इश्क़ पर जोर नहीं है ये वो आतिश ‘ग़ालिब’।कि लगाये न लगे और बुझाये न बुझे।।
- काबा किस मुँह से जाओगे ‘ग़ालिब’।शर्म तुम को मगर नहीं आती..
तू ने कसम मय-कशी की खाई है ‘ग़ालिब’तेरी कसम का कुछ एतिबार नही है..!
फ़िक्र–ए–दुनिया में सर खपाता हूँमैं कहाँ और ये वबाल कहाँ !!”
चाँदनी रात के खामोश सितारों की कसम,दिल में अब तेरे सिवा कोई भी आबाद नहीं।
ग़ालिब बुरा न मान जो वाइज़ बुरा कहे,ऐसा भी कोई है कि सब अच्छा कहें जिसे?
- दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है।आख़िर इस दर्द की दवा क्या है।
मोहब्बत में नही फर्क जीने और मरने काउसी को देखकर जीते है जिस ‘काफ़िर’ पे दम निकले..!
जी ढूँडता है फिर वही फ़ुर्सत कि रात दिन,बैठे रहें तसव्वुर–ए–जानाँ किए हुए !!”
आता है दाग-ए-हसरत-ए-दिल का शुमार याद,मुझसे मेरे गुनाह का हिसाब ऐ खुदा न माँग।
Ghalib Shayari In Urdu

ज़िन्दगी अपनी जब इस शक्ल से गुज़री,हम भी क्या याद करेंगे कि ख़ुदा रखते थे।
- इश्क़ पर जोर नहीं है ये वो आतिश ‘ग़ालिब’।कि लगाये न लगे और बुझाये न बुझे।।
मगर लिखवाए कोई उस को खततो हम से लिखवाएहुई सुब्ह औरघरसे कान पर रख कर कलम निकले..
ता फिर न इंतिज़ार में नींद आए उम्र भर,आने का अहद कर गए आए जो ख़्वाब में !!
ता फिर न इंतज़ार में नींद आये उम्र भर,आने का अहद कर गये आये जो ख्वाब में।
आया है बेकसी-ए-इश्क पे रोना ग़ालिब,किसके घर जायेगा सैलाब-ए-बला मेरे बाद।
- इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना।दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना।।
मरते है आरज़ू में मरने कीमौत आती है पर नही आती,काबा किस मुँह से जाओगे ‘ग़ालिब’शर्म तुमको मगर नही आती ।
रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ाइल,जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है
दिल गंवारा नहीं करता शिकस्ते-उम्मीद,हर तगाफुल पे नवाजिश का गुमां होता है।
Mirza Ghalib Shayari In Urdu

आईना देख के अपना सा मुँह लेके रह गए,साहब को दिल न देने पे कितना गुरूर था.
- दिल से तेरी निगाह जिगर तक उतर गई।दोनों को इक अदा में रज़ामंद कर गई।।
कहाँ मयखाने का दरवाज़ा ‘ग़ालिब’ और कहाँ वाइजपर इतना जानते है कल वो जाता था के हम निकले..
“अर्ज़–ए–नियाज़–ए–इश्क़ के क़ाबिल नहीं रहाजिस दिल पे नाज़ था मुझे वो दिल नहीं रहा”
ग़ालिब बुरा न मान जो वाइज़ बुरा कहे,ऐसा भी कोई है कि सब अच्छा कहें जिसे?
ताउम्र बस एक यही सबक याद रखिये,इश्क़ और इबादत में नियत साफ़ रखिये..
- दर्द मिन्नत-कश-ए-दवा न हुआ।मैं न अच्छा हुआ बुरा न हुआ।।
बना कर फकीरों का हम भेस ग़ालिबतमाशा-ए-अहल-ए-करम देखते है..
“मुहब्बत में उनकी अना का पास रखते हैं,हम जानकर अक्सर उन्हें नाराज़ रखते हैं !!”
ज़िन्दगी अपनी जब इस शक्ल से गुज़री,हम भी क्या याद करेंगे कि ख़ुदा रखते थे।
Ghalib Shayari Love

ये चंद दीन की दुनिया है ग़ालिब,यहाँ पलकों पर बिठाया जाता हैनज़रों से गिराने के लिए..
- आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक।कौन जीता है तिरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक.
तेरे वादे पर जिये हम, तो यह जान झूठ जाना,कि ख़ुशी से मर न जाते, अगर एतबार होता ।
कोई मेरे दिल से पूछे तिरे तीर–ए–नीम–कश कोये ख़लिश कहाँ से होती जो जिगर के पार होता”
आया है बेकसी-ए-इश्क पे रोना ग़ालिब,किसके घर जायेगा सैलाब-ए-बला मेरे बाद।
गुनाह कर के कहाँ जाओगे,ग़ालिब…ये ज़मी ये आसमान सब उसी का है
- क़र्ज़ की पीते थे मय लेकिन समझते थे कि हां।रंग लावेगी हमारी फ़ाक़ा-मस्ती एक दिन।
उन के देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक़।वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है।।
तुम अपने शिकवे की बातेंन खोद खोद के पूछोहज़र करो मिरे दिल सेकि उस में आग दबी है.
इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना,दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना।
2 Lines Mirza Ghalib Shayari
मेरे बारे में कोई राय मत बनाना गालिब,मेरा वक़्त भी बदलेगा तेरी राय भी..
- मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का।उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले।।
काबा किस मुँह से जाओगे ‘ग़ालिब’।शर्म तुम को मगर नहीं आती।।
“इस सादगी पे कौन न मर जाए ऐ ख़ुदालड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं”
इश्क से तबियत ने जीस्त का मजा पाया,दर्द की दवा पाई दर्द बे-दवा पाया।
बेवजह नहीं रोता इश्क़ में कोई ग़ालिब,जिसे खुद से बढ़ कर चाहो वो रुलाते ज़रूर है
- कितना ख़ौफ होता है शाम के अंधेरों में।पूछ उन परिंदों से जिनके घर नहीं होते,
- दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है।आख़िर इस दर्द की दवा क्या है।।
न सुनो गर बुरा कहे कोई,न कहो गर बुरा करे कोई.
तुम न आओगे तो मरने की हैं सौ तदबीरें,मौत कुछ तुम तो नहीं है कि बुला भी न सकूं।
2 Lines Ghalib Shayari
हम को मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन,दिल के ख़ुश रखने को ‘ग़ालिब’ ये ख़याल अच्छा है
- हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले।बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले।।
इश्क़ पर जोर नहीं है ये वो आतिश ‘ग़ालिब’।कि लगाये न लगे और बुझाये न बुझे।।
तेरे वादे पर जिये हमतो यह जान,झूठ जानाकि ख़ुशी से मर न जातेअगर एतबार होता..
आईना देख के अपना सा मुँह लेके रह गए,साहब को दिल न देने पे कितना गुरूर था।
हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले,बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले..
- हैं और भी दुनिया में सुख़न-वर बहुत अच्छे।कहते हैं कि ‘ग़ालिब’ का है अंदाज़-ए-बयाँ और..
इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना।दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना।।
भीगी हुई सी रात में जब याद जल उठी,बादल सा इक निचोड़ के सिरहाने रख लिया.
उनके देखने से जो आ जाती है चेहरे पर रौनक,वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है.
Mirza Ghalib Quotes In Hindi
आज फिर पहली मुलाक़ात से आग़ाज़ करूँ,आज फिर दूर से ही देख के आऊँ उस को !!
- न था कुछ तो ख़ुदा था कुछ न होता तो ख़ुदा होता।डुबोया मुझ को होने ने न होता मैं तो क्या होता।।
दिल से तेरी निगाह जिगर तक उतर गई।दोनों को इक अदा में रज़ामंद कर गई।।
कुछ लम्हे हमने ख़र्च किए थे मिले नही,सारा हिसाब जोड़ के सिरहाने रख लिया.
ये न थी हमारी किस्मत कि विसाल-ए-यार होता,अगर और जीते रहते यही इंतज़ार होता।
साज़-ए-दिल को गुदगुदाया इश्क़ ने,मौत को ले कर जवानी आ गई..
- दर्द जब दिल में हो तो दवा कीजिए।दिल ही जब दर्द हो तो क्या कीजिए..
दर्द मिन्नत-कश-ए-दवा न हुआ।मैं न अच्छा हुआ बुरा न हुआ।।
“वो रास्ते जिन पे कोई सिलवट ना पड़ सकी,उन रास्तों को मोड़ के सिरहाने रख लिया.
आशिक़ी सब्र तलब और तमन्ना बेताब,दिल का क्या रंग करूँ खून-ए-जिगर होने तक।
Ghalib Quotes In Hindi
दिल से तेरी निगाह जिगर तक उतर गई,दोनों को इक अदा में रज़ामंद कर गई।
- हाथों की लकीरों पे मत जा ऐ गालिब।नसीब उनके भी होते हैं जिनके हाथ नहीं होते..
आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक।कौन जीता है तिरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक।।
हम जो सबका दिल रखते हैंसुनो, हम भी एक दिल रखते हैं.
मोहब्बत में नही फर्क जीने और मरने का,उसी को देखकर जीते है जिस ‘काफ़िर’ पे दम निकले..!
- तेरी दुआओं में असर हो तो मस्जिद को हिलाके देख।नहीं तो दो घूंट पी और मस्जिद को हिलता देख..
क़र्ज़ की पीते थे मय लेकिन समझते थे कि हां।रंग लावेगी हमारी फ़ाक़ा-मस्ती एक दिन।।
इक शौक़ बड़ाई का अगर हद से गुज़र जाएफिर ‘मैं’ के सिवा कुछ भी दिखाई नहीं देता”
पीने दे बैठ कर मस्ज़िद में ग़ालिब,वरना वो जगह बता जहाँ खुदा नहीं।
- नज़र लगे न कहीं उसके दस्त-ओ-बाज़ू को।ये लोग क्यूँ मेरे ज़ख़्मे जिगर को देखते हैं।।
Mirza Ghalib Status
मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का।उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले।।
ज़िन्दग़ी में तो सभी प्यार किया करते हैं,मैं तो मर कर भी मेरी जान तुझे चाहूँगा..
गुज़र रहा हूँ यहाँ से भी गुज़र जाउँगा,मैं वक़्त हूँ कहीं ठहरा तो मर जाउँगा।
- रही न ताक़त-ए-गुफ़्तार और अगर हो भी।तो किस उम्मीद पे कहिये के आरज़ू क्या है।।
कितना ख़ौफ होता है शाम के अंधेरों में।पूछ उन परिंदों से जिनके घर नहीं होते।।
दिल–ए–नादाँ तुझे हुआ क्या हैआख़िर इस दर्द की दवा क्या है”
क़ासिद के आते -आते खत एक और लिख रखूँ,मैं जानता हूँ जो वो लिखेंगे जवाब में..
- पियूँ शराब अगर ख़ुम भी देख लूँ दो चार।ये शीशा-ओ-क़दह-ओ-कूज़ा-ओ-सुबू क्या है।
हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले।बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले।।
इक क़ुर्ब जो क़ुर्बत को रसाई नहीं देता,इक फ़ासला अहसास–ए–जुदाई नहीं देता.
Sad Ghalib Shayari
सिसकियाँ लेता है वजूद मेरा गालिब,नोंच नोंच कर खा गई तेरी याद मुझे।
- रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ायल।जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है।
हैं और भी दुनिया में सुख़न-वर बहुत अच्छे।कहते हैं कि ‘ग़ालिब’ का है अंदाज़-ए-बयाँ और।।
तू मिला है तो ये अहसास हुआ है मुझको,ये मेरी उम्र मोहब्बत के लिए थोड़ी है ….”
तुम न आए तो क्या सहर न हुई,हाँ मगर चैन से बसर न हुई,मेरा नाला सुना ज़माने ने मगर,एक तुम हो जिसे ख़बर न हुई।
- चिपक रहा है बदन पर लहू से पैराहन।हमारी ज़ेब को अब हाजत-ए-रफ़ू क्या है.
न था कुछ तो ख़ुदा था कुछ न होता तो ख़ुदा होता।डुबोया मुझ को होने ने न होता मैं तो क्या होता।।
उस पे आती है मोहब्बत ऐसेझूठ पे जैसे यकीन आता है”
जी ढूंढ़ता है फिर वही फुर्सत के रात दिन,बैठे रहे तसव्वुर-ए-जहान किये हुए।
- न शोले में ये करिश्मा न बर्क़ में ये अदा।कोई बताओ कि वो शोखे-तुंदख़ू क्या है।।
Mirza Ghalib Shayari Images
दर्द जब दिल में हो तो दवा कीजिए।दिल ही जब दर्द हो तो क्या कीजिए।।
गुज़रे हुए लम्हों को मैं इक बार तो जी लूँ,कुछ ख्वाब तेरी याद दिलाने के लिए हैं !!”
चांदनी रात के खामोश सितारों की क़सम,दिल में अब तेरे सिवा कोई भी आबाद नहीं।
- हुई मुद्दत कि ‘ग़ालिब’ मर गया पर याद आता है।वो हर इक बात पर कहना कि यूँ होता तो क्या होता.
- हाथों की लकीरों पे मत जा ऐ गालिब।नसीब उनके भी होते हैं जिनके हाथ नहीं होते।।
गुज़र रहा हूँ यहाँ से भी गुज़र जाउँगा,मैं वक़्त हूँ कहीं ठहरा तो मर जाउँगा !!
Mirza Ghalib Shayari – तो दोस्तों आपको Mirza Ghalib Ki Shayari मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी पसंद आयी होगी और अपने शेयर भी कर दिया होगा, Ghalib Ki Shayari ग़ालिब की शायरी, Mirza Ghalib Par Shayari मिर्ज़ा ग़ालिब पर शायरी, 2 Line Ghalib Shayari २ लाइन ग़ालिब शायरी, Best Ghalib Status in Hindi For Whatsapp Status, Sad Mirza Ghalib Status In Urdu, Mirza Ghalib Shayari Pics, Dp,बेस्ट ग़ालिब स्टेटस इन हिंदी फॉर व्हाट्सप्प, साद मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी पिक्टुरेस को Download करके शेयर करे.